राजस्थान सरकार ने लॉकडाउन के कारण गरीब परिवारों को 1000 रूपये के अलावा 1500-1500 रूपये और अतिरिक्त देने की घोषणा की है
प्रति परिवार को 1500 रूपये देने के लिए संबंधित जिलों के जिला कलेक्टरों को दिए गए निर्देश.
राजस्थान लॉकडाउन योजना – खाते में आएँगे 1500रु अतिरिक्त
सभी को पता ही होगा की भारत में 21 दिन का लॉकडाउन किया गया है जिसके चलते सबसे ज्यादा नुकसान गरीब परिवारों को उठाना पड़ा है और काफी समस्याओ का सामना भी करना पड़ा रहा है. इसी के चलते राजस्थान सरकार ने गरीब परिवारों को कुछ आर्थिक मदद देने के लिए पिछले सप्ताह प्रत्येक परिवार की महिला मुखिया को 1 हज़ार रूपये देने की घोषणा की गयी थी. अब सभी महिलाओ के बैंक अकाउंट में पैसे आने शुरू भी हो गए है. लेकिन राजस्थान सरकार ने एक नई घोषणा और की है जिसमे 1 हज़ार रूपये के अलावा अलग से 1500 रूपये और देने की घोषणा की है.
कोरोना वायरस के कारण उत्पन्न स्थिति से गरीब परिवार व जरूरतमंद परिवार तक मदद पहुंचाने के लिए सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री मास्टर भंवरलाल मेघवाल ने प्रति परिवार को 1500 रूपये देने के लिए संबंधित जिलों के जिला कलेक्टरों को दिए हैं.
इस प्रकार राज्य के लोगो के लिए राजस्थान सरकार की तरफ से 1 हज़ार रूपये देने की पहले घोषणा की गयी थी. लेकिन अब 1500 रूपये और अलग से देने की घोषणा की जो कुल मिलाकर 2500 रूपये देने की घोषणा की गयी है जिसमे 2500 रूपये की पहली क़िस्त के रूप में 1-1 हज़ार रूपये सभी परिवारों को उनके बैंक खाते में भेज दिए गए है.
कितने लोगो को इस योजना का लाभ दिया जायेगा?
इस योजना का लाभ राज्य के 30 लाख 81 हजार 634 पात्र परिवारों को दिया जायेगा.
इस योजना का लाभ कैसे मिलेगा :-
जिस प्रकार 2500 रूपये की पहली क़िस्त 1 हज़ार रूपये सीधे आपके बैंक खाते में भेजे गए थे उसी प्रकार 1500 रूपये की दूसरी क़िस्त भी आपके बैंक खाते में भेजी जाएगी ये राशि डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर के माध्यम से भेजी जाएगी.
जरूरतमंद परिवारों को तत्काल मदद करने के दिए निर्देश
साथ ही उपखंड अधिकारी, विकास अधिकारी, तहसीलदार और नगरपालिका के कार्यकारी अधिकारी निर्देश दिए है की जरूरत मंद तक जल्द से जल्द मद्द्त पहुंचाई जाए साथ में उन्होंने सभी अधिकारियो को ये भी निर्देश दिया है की अधिकारी अपनी अपनी SSO आईडी से सूचि डाउनलोड करले और दोहरे भुगतान को रोकते हुए सतर्कता बर्ते पात्र परिवार लाभ लेने से वंचित नहीं रहे.