New Agriculture Bill 2020 In Hindi | कृषि बिल का लागु होने पर किसानों को MSP और APMC में मिलेगा इतना लाभ | जानें आपके लिए सही है कृषि विधेयक 2020 या गलत | क्या है कृषि विधेयक बिल 2020 | क्या है MSP न्यूनतम समर्थन मूल्य व APMC
क्या है कृषि विधेयक बिल 2020?
आप सभी ने टीवी और न्यूज़ पेपर में देखा होगा की मोदी सरकार के द्वारा हालही में किसानो के लिए एक कृषि बिल लाया गया है जिसका विपक्ष व देश भर के कुछ किसान इस बिल का विरोध भी कर रहे है। ताकि इस बिल को केंद्र सरकार वापिस ले ले लेकिन आखिर New Agriculture Bill 2020 में ऐसा क्या है जो किसान और विपक्ष दोनों इसका विरोध कर रहे है। हालाँकि सभी जगह इसका विरोध नहीं कर रहे है कुछ किसान इस बिल का स्वागत भी कर रहे है विरोध कर रहे वो किसान भी हो सकते है। जिनको कृषि सुधार विधेयक बिल 2020 के बारे में पूरी तरह से पता ही नहीं है और विपक्ष के बहकावे में आकर इस बिल का विरोध कर रहे है। इसलिए आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से जानकारी देने वाले है की आखिर ये बिल क्या है इसका किसानो को क्या लाभ मिलेगा और किसानो को क्या नुकसान होगा।
केंद्र सरकार किसानो की आय में वृद्धि करने के लिए नई योजनाओ की शुरुवात कर रही है तो कई पर पुरानी व्यवस्था में सुधार करके बदलाव किया जा रहा है। इसी को देखते हुए मोदी सरकार ने पिछले रविवार को किसानों के लिए कृषि क्षेत्र में सुधार करते हुए संसद में तीन कृषि बिल पारित किये थे। जिसमे से दो बिल पारित भी कर दिए गये है जिस पर अब देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविद की मोहर लगने के बाद ये देश का कृषि क्षेत्र में नया कानून बन जायेगा जो सब किसानों व व्यापारियों पर लागु कर दिया जायेगा।
New Agriculture Bill 2020
तीन कृषि बिल में से दो कृषि बिल पास हो चुके है जिसमे पहला बिल था कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य विधेयक दूसरे शब्दों पर आप उसे कृषि संवर्धन और सरलीकरण विधेयक 2020 भी कह सकते है। इस बिल के माध्यम किसानो फायदा ये होगा की किसान अब अपनी फसल या उपज को अपनी मन पसंद जगह पर बेच सकते है। मतलब निजी क्षेत्र की कम्पनियो या बाजार, दुकानों पर जहां पर किसानो को कृषि उत्पादों का अच्छा मूल्य मिलता हो। इससे पहले किसानों को अपने कृषि उत्पाद को सरकार के द्वारा निर्धारित की गयी मंडियों में ही बेचना पड़ता है या पड़ता था। जिसमे किसानों को कृषि उत्पाद बेचने के लिए मंडियों में बोली लगवानी पड़ती थी। जो व्यापारी अपने हिसाब से कम से कम दाम लगाने की कोशिश करते है जिसके कारण किसानों को कम दामो पर अपनी फसल मजबूरन बेचनी पड़ती है। जिसमे बोली लगाने वाले बिचौलियों को भी कमीशन देना पड़ता है। जिससे किसानों को काफी नुकसान होता है इसलिए इस सिस्टम को बदलने के लिए इस बिल को पारित किया गया है। जिससे किसानों की आय में वृद्धि होगी इससे फायदा ये होगा की किसानों और बाजार के मध्य प्रतिस्पर्धा स्थापित होगी।
इसके साथ ही किसान अपनी उपज को अपने राज्य के अलावा अन्य दूसरे राज्य के व्यापारियों को भी बेच सकते है। जहाँ पर किसानों को अच्छा मूल्य मिलता हो लेकिन एक राज्य से दूसरे में किसान उन्ही व्यापारियों को अपने कृषि उत्पाद बेच सकते है जिन व्यापारियों के पास लाइसेंस है।
दूसरा कृषक विधेयक (सशक्तिकरण व संरक्षण) / कृषि सेवा पर करार विधेयक 2020
दूसरा विधेयक कृषक (सशक्तिकरण व संरक्षण) दूसरे शब्दों में कहे तो कृषि सेवा पर करार विधेयक 2020
कृषि सुधार विधेयक बिल किसानों को व्यापारियों व बाजार, कंपनियों और प्रसंस्करण इकाइयों को सीधा जोड़ता है ये एक कृषि करार बिल है। जिसमे खरीदार किसान की बुवाई से पहले ही उसकी उपज का दाम निर्धारित करके किसानों को उसकी फसल का मूल्य बताकर एक तरह का आश्वासन दे सकते है जैसे फ़ार्म सेवाओं, थोक विक्रेताओं, प्रोसेसर्स, कृषि बिज़नेस फ़र्मों, खुदरा विक्रेता। हालाँकि इसमें किसान स्वतंत्र है जिसमे किसान अपनी इच्छा अनुसार भाव तय कर सकते है और अपनी इच्छा के अनुसार जहाँ चाहे वहां बेच सकते है।
लेकिन किसानों के बीच इस प्रकार की अफवा फैला दी गयी है की केंद्र सरकार ने एपीएमसी (एग्रीकल्चर प्रोड्यूस मार्केट कमिटी) व MSP (न्यूनतम समर्थन मूल्य) को खत्म कर रही है। जिसके कारण देश भर के किसान इस बिल का विरोध करने के लिए सरकार के विरोध में सड़को पर आ गये।
इस पर केंद्र सरकार ने सफाई देते हुए देश के प्रधानमंत्री ने ट्वीट करके जानकारी दी है की सरकार MSP (न्यूनतम समर्थन मूल्य) को किसी भी तरह से खत्म नहीं कर रही है ये प्रकार की अफवा है जो विपक्षी पार्टी के द्वारा फैलाई गयी है। इसके साथ उन्होंने बताया की केंद्र सरकार ने कुछ उपज पर 300 रूपये तक का न्यूनतम समर्थन मूल्य भी बढ़ाया है।
MSP न्यूनतम समर्थन मूल्य व APMC (एग्रीकल्चर प्रोड्यूस मार्केट कमिटी) क्या है?
सरकार के द्वारा किसानों की उपज खरीदने के लिए MSP (न्यूनतम समर्थन मूल्य) निर्धारित किया गया है। जिसके अंतर्गत कोई भी व्यापारी सरकार के द्वारा निर्धारित की गयी दरो से कम में किसान से कृषि उत्पाद नहीं खरीद सकता है। इसलिए किसानों को भय सता रहा है की सरकार ने MSP को खत्म कर दिया है। जिसके कारण व्यापारी अब उनकी फसल अपनी मर्जी के दाम देकर खरीदेंगे जिससे किसानों को नुकसान होगा। इसके कारण किसान विरोध कर रहे हैं हालाँकि हम आपको एक बात पहले ही स्पष्ट कर दे की मोदी सरकार के द्वारा MSP (न्यूनतम समर्थन मूल्य) को खत्म नहीं किया गया है।
APMC (एग्रीकल्चर प्रोड्यूस मार्केट कमिटी)
इसे साधारण भाषा में आप मंडी कह सकते है जहाँ पर किसान अपनी कृषि उत्पाद को न्यूनतम समर्थन मूल्य के आधार पर बेचता है। इसी कारण किसानों को डर है की केंद्र ने एग्रीकल्चर प्रोड्यूस मार्केट कमिटी को खत्म करके निजी क्षेत्र की कम्पनियो के द्वारा खोल दिए गया है। जिसके कारण निजी कम्पनियो के द्वारा किसानों का शोषण किया जायेगा हालाँकि इस प्रकार की कोई भी घोषणा अभी तक नहीं की गयी है।
कृषि बिल का लागु होने पर किसानों को होने वाले लाभ
कृषि मंडी एक निश्चित स्थान पर होती है ताकि आस पास के गांवो के किसान यहाँ पर अपने कृषि उत्पाद बेचने आ सके इसलिए। अब किसानों को अगर मंडी के बाहर ही उनकी फसल का अच्छा दाम मिल रहा है तो किसान अपने नजदीकी क्षेत्र में ही बेच देगा तो उसको मंडी तक आना ही नहीं पड़ेगा। जिससे किसानों को गाड़ी का किराया नहीं देना पड़ेगा और उसको फसल का उचित दाम भी मिल सकेगा।
- किसान अपनी मर्जी का मालिक होगा किसान जहाँ ठीक लगेगा वहां पर अपनी उपज को बेच सकता है।
- नया कृषि कानून लागु होने के बाद देश के किसान अपने राज्य के अलावा दूसरे राज्य के व्यापारियों को भी अपने उत्पाद बेच सकते है।
- कृषि क्षेत्रो में नई आधुनिक टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करने को मिलेगा।
- किसानों व बाजार के बीच प्रतिस्पर्धा स्थापित होगी और किसानों को उनकी उपज का सही दाम मिल सकेगा।
- इलेक्ट्रिक ट्रेडिंग प्लेटफार्म के माध्यम से व्यापारी एक राज्य से दूसरे राज्य के व्यापार मे शामिल हो सकता है।
- वन नेशन वन मार्केट जो अवधारणा चलाई जा रही है उसको बढ़ावा मिलेगा।
Agriculture Bill 2020 पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का क्या कहना है?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कृषि बिल की तारीफ करते हुए कहा की ये कृषि बिल ऐतिहासिक है। कृषि विधेयक बिल 2020 के जरिये कुछ कृषि क्षेत्र में सुधार किये गए है। जिसके अंतर्गत किसान जहाँ चाहे अपनी मर्जी के हिसाब से अपनी फसल बेच सकते है। मतलब अगर किसान को उनकी फसल का उचित दाम मंडियों में मिल रहा है तो वो वहां बेच सकता है लेकिन अगर किसान को लगता है उसको यहाँ पर उसकी फसल के हिसाब से सही दाम नहीं मिल रहा है तो किसान मंडी के अलावा बाजार, दुकान, निजी कम्पनियो को भी बेच सकता है। इससे पहले किसानों के हाथ बंधे हुए थे जिसके कारण किसान अपनी फसल को मंडी के अलावा कही और पर नहीं बेच सकता था। जिसके कारण कम दाम पर ही किसानों को मजबूरन मंडी में ही फसल बेचनी पड़ती थी। जिसका फायदा व्यापारी उठाते थे इसी को देखते हुए ये महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। अब किसानों को अपनी फसल बेचने के लिए अलग अलग अवसर मिलेंगे, किसानों को अब आधुनिक टेक्नोलॉजी का उपयोग करने को मिलेगी।
Krishi Vidheyak Bill 2020 पर कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का क्या कहना है?
कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कृषि विधेयक की तारीफ करते हुए कहाँ की ये बिल किसानों के लिए ऐतिहासिक है। जिससे कृषि क्षेत्र में सुधार आएंगे जिससे किसानों के पास कई नए द्वार खुलेंगे जिससे किसान अपनी मर्जी के हिसाब से जहाँ चाहे वहां अपनी फसल को बेच सकते है जिससे किसानों की आय में वृद्धि होगी।
कृषि बिल में किस फसल का MSP कितना बढ़ाया गया है?
विपक्ष व किसानों को डर है की केंद्र सरकार (MSP) न्यूनतम समर्थन मूल्य को हमेशा के लिए खत्म कर रही है। जिसके कारण कृषि बिल पर मचा घमाशान को देखते हुए केंद्र सरकार ने कई फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य में 300 रूपये तक की बढ़ोतरी की है।
जिसमे रबी की फसल चना पर प्रति क्विंटल पर 250 रूपये की बढ़ोतरी की गयी है जो अब 5100 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से किसानों से खरीदा जायेगा। इसी तरह ही मसूर पर 300 रुपये प्रति क्विंटल न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाया गया है जो अब बढ़कर 5100 रुपये प्रति क्विंटल हो गया है, सरसों पर 225 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से बढ़ोतरी की गयी है जो अब 4650 रुपये प्रति क्विंटल हो गयी है, जौ में 75 रुपये न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाया गया है जो अब बढ़कर 1600 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है, कुसुम पर न्यूनतम समर्थन मूल्य के हिसाब से प्रति क्विंटल 112 रुपये की वृद्धि की गयी है जो अब बढ़कर 5327 रुपये प्रति क्विंटल हो गयी है। इसी प्रकार गेंहू में भी पछले वर्षो की तुलना में 37.5% की बढ़ोतरी की गयी है साल 2014-15 में गेंहू न्यूनतम समर्थन मूल्य 1400 रुपए प्रति क्विंटल था जिसे अब वर्ष 2020-21 में बढाकर 1925 रुपए प्रति क्विंटल कर दिया गया है।
कृषि बिल 2020 के अंतर्गत फसलों की बढ़ाई गयी MSP लिस्ट:-
फसल | बढ़ी हुई MSP |
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चना | प्रति क्विंटल पर 250 रूपये न्यूनतम समर्थन मूल्य की बढ़ोतरी (5100 रुपये प्रति क्विंटल) |
मसूर | 300 रुपये प्रति क्विंटल न्यूनतम समर्थन मूल्य की बढ़ोतरी (5100 रुपये प्रति क्विंटल) |
सरसों | 225 रुपये प्रति क्विंटल न्यूनतम समर्थन मूल्य की बढ़ोतरी (4650 रुपये प्रति क्विंटल) |
जौ | 75 रुपये प्रति क्विंटल न्यूनतम समर्थन मूल्य की बढ़ोतरी (1600 रुपये प्रति क्विंटल) |
कुसुम | 112 रुपये प्रति क्विंटल न्यूनतम समर्थन मूल्य की बढ़ोतरी (5327 रुपये प्रति क्विंटल) |
गेंहू | 525 रुपये प्रति क्विंटल न्यूनतम समर्थन मूल्य की बढ़ोतरी (1925 रुपये प्रति क्विंटल) |
कानून मंत्री रविशंकर – कृषि बिल 2020 के बारे में:-
इस कृषि बिल के बारे में कानून मंत्री रवि शंकर का कहना है की आजादी के बाद कृषि क्षेत्र में बड़ा बदलाव करते हुए बिल को लोकसभा में लोकसभा की मंजूरी मिल गयी है अब किसान स्वतंत्र है जहाँ किसानों को अच्छा दाम मिलेगा वहां किसान अपने कृषि उत्पाद बेच सकते है इसके साथ ही उन्होंने कहाँ की बिचौलियों के द्वारा जो किसानों का शोषण किया जाता था उससे किसानों को आजादी मिलेगी इससे किसानों की आय में भी वृद्धि होगी।
कांग्रेस कर रही है कृषि बिल का विरोध:-
विपक्ष के कांग्रेस के नेता राहुल गाँधी का कृषि बिल का विरोध
राहुल गाँधी ट्वीट करके जानकारी दी है की ये कृषि बिल किसान विरोधी है इस काले कानून के जरिये केंद्र सरकार किसानों को पूंजीपतियों का गुलाम बनाना चाहती है। इसके साथ ही उनका कहना था की मोदी सरकार के द्वारा APMC (एग्रीकल्चर प्रोड्यूस मार्केट कमिटी) को खत्म किया जा रहा है। ऐसी स्थिति में किसानों को MSP कैसे मिलेगा और अगर सरकार MSP (न्यूनतम समर्थन मूल्य) खत्म नहीं कर रही है तो केंद्र सरकार MSP की गारंटी क्यों नहीं दे रही है।
हमने एक पहले ही स्पष्ट कर दी थी की इसके बारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को ट्वीट करके जानकारी दी थी की केंद्र सरकार APMC (एग्रीकल्चर प्रोड्यूस मार्केट कमिटी) व MSP (न्यूनतम समर्थन मूल्य) को खत्म नहीं कर रही है MSP की व्यवस्था जो पहले से जारी है उसी तरिके से जारी रहेगी इसमें बस बदलाव ये किया गया है किसान अब अपने कृषि उत्पाद मंडी व मंडी के बाहर पर भी बेच सकता है इससे पहले सिर्फ किसान मंडी में ही कृषि उत्पाद बेच सकता था।
कृषि विधेयक बिल के बारें में किसानों के संभावित सवाल -FAQ
प्रश्न: क्या भविष्य में निजी कंपनियों अपनी मनमानी दामों के हिसाब से किसानों के कृषि उत्पाद खरीदेगी?
उत्तर:- फिलहाल इस बारे में सरकार की तरफ से कोई जानकारी नहीं दी गयी है लेकिन जो पहले से न्यूनतम समर्थन मूल्य मिल रहा है वो जारी रहेगा उसके हिसाब किसान को अगर मंडी के बाहर समर्थन मूल्य से अधिक दाम मिले तो बाहर भी अपने कृषि उत्पाद बेच सकता है और चाहे तो न्यूनतम समर्थन मूल्य के आधार पर मंडी में भी बेच सकता है।
प्रश्न: क्या कृषि विधेयक लागु कर दिया गया है?
उत्तर:- अभी इस बिल को लागु नहीं किया गया है क्योंकी इस पर अभी राष्ट्रपति की मुहर लगना बाकि है जब राष्ट्रपति रामनाथ कोविद इस बिल पर अपने हस्ताक्षर कर देंगे तो ये कानून पुरे देश में लागु हो जायेगा।
प्रश्न: इस कृषि विधेयक का लाभ देश के सभी किसानों को मिलेगा क्या?
उत्तर:- ये बिल लागु कर देने के बाद एक कानून बन जायेगा जो देश के सभी किसान, व्यापारी, मंडी पर लागु हो जायेगा।
प्रश्न: क्या ये नया कृषि बिल पारित होने के बाद MSP (न्यूनतम समर्थन मूल्य) समाप्त कर दिया जायेगा?
उत्तर:- MSP को समाप्त नहीं किया जायेगा ये पहले की तरह ही लागु रहेगा।
प्रश्न: क्या केंद्र सरकार एपीएमसी (एग्रीकल्चर प्रोड्यूस मार्केट कमिटी) को समाप्त करेगी?
उत्तर:- एपीएमसी को सरकार समाप्त नहीं कर रही है अब किसान मंडी अलावा निजी क्षेत्र की कम्पनियो को सीधे स्तर पर अपने कृषि उत्पाद बेच सकते है।
प्रश्न: क्या किसान मंडी के बाहर अपनी उपज बेचने के बाद मंडी मे नहीं बेच सकता है?
उत्तर:- किसान अपनी मर्जी से मंडी या मंडी के बाहर दोनों जगह मे से कही पर भी बेच सकते है मतलब किसानों के दोनों दरवाजे खुले है।
महत्वपूर्ण सुचना:-
अभी तक हमे नए कृषि विधेयक बिल 2020 से सबंधित जो भी जानकारी मिली थी उसकी जानकारी दी है इसलिए इसके अलावा हमे इस कृषि बिल से सबंधित जब कोई नई जानकारी या अपडेट मिलेगी तो उसकी जानकारी हम आपको यहाँ पर दे देंगे।
आप ने कृषि बिल के बारे में बताया ,बहुत अच्छा जानकारी मिला